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शुक्रवार, 9 सितंबर 2011

हिसाब.... संध्या शर्मा


हादसों की खबर से दिल उनका
अब सिहरता नहीं
किसी के दर्द में हमदर्दी जताने के लिए
अब कोई निकलता नहीं
लगाने लगता है हिसाब कीमत का
किसी की लाश
किसी के दर्द
तो किसी के ज़ख्म का
क्या वह कभी दे सकेगा हिसाब...?
किसी के दर्द
किसी के अपनों
किसी के सपनो का....  ??? 

24 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत दुखदाई स्थिति है,संध्या जी.

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  2. न जाने कितने हादसे...
    कितनी सिरहन....

    अब तो आदत सी हो गई है, हादसों की खबरों की...

    सच में बहुत विकट स्थिति है।
    बहरहाल, अच्‍छी प्रस्‍त‍ुति।

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  3. हालात बेहद अफसोसजनक हैं.... न जाने कब तक ये खून खराबा चलता रहेगा..... और सच है कौन देगा हिसाब ....?

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  4. इस अकर्मण्य परिस्थिति में .. सभी निः शब्द क्या करें कौन सा जहाँ बनायें जहाँ मानव मूल्य भारी हों

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  5. आदत नहीं ,गुस्सा लोगों के मन में भीतर लावे की तरह उबल रहा है !

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  6. किसी के दर्द में हमदर्दी जताने के लिए
    अब कोई निकलता नहीं
    लगाने लगता है हिसाब कीमत का

    नैतिक अवमूल्यन की चरम परिणति है यह , जब इंसान-इंसान की लाश का हिसाब लगाने लगता है .....!

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  7. ज़ुल्म करना और ज़ुल्म सहना दोनों ही जालिमों की हरकतों को बढ़ावा देता है. हमारी सरकार को अब तो कोई ठोस क़दम उठाना ही चाहिए.
    आपकी यह पोस्ट कल चर्चा मंच पे लाई जा रही है

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  8. हिसाब कोई नहीं दे सकता।

    क्या वह कभी दे सकेगा हिसाब...?
    किसी के दर्द
    किसी के अपनों
    किसी के सपनो का.... ???

    ये एक बहुत गहन और वाजिब प्रश्न चिह्न हैं।

    सादर

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  9. बहुत जटिल प्रश्न है मगर शायद ही हो किसी के पास उत्तर्।

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  10. बहुत सच कहा है। कुछ देर खून खौलता है लेकिन कुछ समय बाद सब भूल जाते हैं, कोई नहीं सोचता उनके बारे में जिन्हें यह दर्द ज़िंदगी भर सहना होता है।

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  11. भय आतंक हिंसा , ये रोज़-रोज का खून खराबा
    और कब तक सहना होगा ये बतला दो बाबा....

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  12. बेहद अफसोसजनक हैं आज के हालात
    बहुत से प्रश्न उठाती समसामायिक रचना !

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  13. किसी के दर्द
    तो किसी के ज़ख्म का
    क्या वह कभी दे सकेगा हिसाब...?
    आपकी रचना ने मन को झकझोर कर रख दिया ......संध्या जी।

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  14. aaj hamari samvednaaye mar chuki hain aur ham aur hamare aas paas sabhi swarth ke putle ghoomte hain to aisa hona hi hai.

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  15. अब हमने दिल्ली में तो धमाकों का हिसाब रखना ही छोड़ दिया है

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  16. आपको अग्रिम हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. हमारी "मातृ भाषा" का दिन है तो आज से हम संकल्प करें की हम हमेशा इसकी मान रखेंगें...
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  17. एक-एक शब्द भावपूर्ण ...
    संवेदनाओं से भरी बहुत सुन्दर कविता.

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