जीवन संध्या....संध्या शर्मा
सुबह से शाम
चलते-चलते
थक गया तन
सुनते-सुनते
ऊबा मन
आँखें नम
निर्जन आस
भग्न अंतर
उद्वेलित श्वास
बहुत उदास
कुछ निराश
शब्द-शब्द
रूठ रहे हैं
मन प्राण
छूट रहे हैं
पराया था
अपना है
कभी लगता
सपना है
सूरज जैसे
अस्त हो चला
अंतिम छंद
गढ़ चला.................!
सूरज जैसे
जवाब देंहटाएंअस्त हो चला
अंतिम छंद
गढ़ चला.................!
अद्भुत....
बहुत सुन्दर रचना संध्या जी..
सस्नेह
अनु
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ,,,,,,संध्या जी,,,
जवाब देंहटाएंजीवन में होती सदा,आती सुबहो शाम
थक जाता है अंत में,गढ़ जाता है नाम,,,,
MY RECENT POST: माँ,,,
वाकई बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंक्या कहने
वाह,छायावाद की अद्भुत छाया।अति सुंदर भाव।
जवाब देंहटाएंछंद और गढ़े जाएँगे
जवाब देंहटाएंआशा के पल्लव लहराएँगे ॥
सुंदर अभिव्यक्ति
सुंदर रचना |
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट:- ओ कलम !!
प्रभावित करती रचना ...गहन
जवाब देंहटाएंआँखें नम निर्मल आस ---
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण |
आशा
बहुत उदास
जवाब देंहटाएंकुछ निराश
शब्द-शब्द
रूठ रहे हैं
मन प्राण
छूट रहे हैं...........
जब कभी मन में निराशा घर कर ले तो किसी का ये शेर मेरा मनोबल बढाता है।देखिये:-
जब कभी हाथ से उम्मीद का दामन छूटा .
ले लिया आपके दामन का सहारा हमने .
बस अल्लाह तआला से दुआ मांगते हुए उक्त शेर कहिये ,निराशा,आशा में तब्दील हो जाएगी .
आप तो वैसे भी बड़ी ऊर्जावान और रचनात्मक लेखन वाली लेखिका हैं फिर निराशाजनक भाव क्यों?
सूरज जैसे
जवाब देंहटाएंअस्त हो चला
अंतिम छंद
गढ़ चला......
अंतःकरण को शब्द देती भावनाओं की अभिव्यक्ति .
कवि मन जीवन के उतार चढ़ावों बहुत ही महीनता से पकड़ता हे. इसीलिए कहते हैं " जहाँ न जाये रवि, वहां जाये कवि. किसी भी कवि के काव्य में भावों के आरोह अवरोह उसके समस्त जीवन की गाथा स्वत: कहते हैं, अच्छे भाव हैं, निर्वाण के....... शायद बुद्ध ने भी यही सोचा होगा..... बुद्धत्व प्राप्ति के पूर्व
जवाब देंहटाएंबेहद प्रभावशाली रचना है बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंइस अवस्था से न गुजरे मन तो सूर्योदय का अर्थ भी अस्त हो जाता है ...
जवाब देंहटाएंसरल शब्दों में लिखी सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंसहज सब्दों से मन को अभिसिंचित करती कविता
जवाब देंहटाएंमन के भावो का सुन्दर चित्रण..
जवाब देंहटाएंजीवन संध्या वो बेला होती है जब दिनभर के सफ़र के बाद यात्री पलट कर देखता है तो सबकुछ साफ-साफ दीखता है.. आपने उसे सुन्दर शब्द दिया है..
जवाब देंहटाएंवाह,.... बहुत ही सुन्दर लगी पोस्ट ।
जवाब देंहटाएंसूरज जैसे
जवाब देंहटाएंअस्त हो चला
अंतिम छंद
गढ़ चला.................!
...वाह! एक एक शब्द अंतस को छू गया...शब्दों और भावों का अद्भुत संगम...
सुन्दर एवं प्रभावी रचना...
जवाब देंहटाएं:-)