चिड़ियों की चहचहाहट होते ही नींद से उठकर छुई खदान जाना और शाम
ढले वापस आकर छुई
-मिट्टी के एकसार ढ़ेले तैयार करके सुखाने के लिए रखना. यही
दिनचर्या है उसकी. गर्मियों में काम दुगुना बढ़ जाता है, इन दिनों में और
अधिक परिश्रम करके छुई इकठ्ठा करती है बरसात के लिए. चाहे कोई भी मौसम हो
झुलसा देने वाली गर्मी हो, ठिठुरने वाली ठण्ड या फिर फिसलन भरी बरसात. काम
तो करना है पेट की आग बुझाने के लिए. बारिश के दिनों में चिकनी सफ़ेद छुई
खदान में जाना कोई आसान काम नहीं, जान हथेली पर रहती है. उसपर कुछ ज्यादा
पैसे पाने की चाह उसे खदान में अधिक गहराई तक जाने को मजबूर कर देती. दो
बरस पहले इस मजबूरी ने उसके सिन्दूर के लाल रंग को भी सफ़ेद छुई - मिट्टी बदल में
दिया. अकेली रह गई है तब से एक मासूम बेटी के साथ.
-मिट्टी के एकसार ढ़ेले तैयार करके सुखाने के लिए रखना. यही
दिनचर्या है उसकी. गर्मियों में काम दुगुना बढ़ जाता है, इन दिनों में और
अधिक परिश्रम करके छुई इकठ्ठा करती है बरसात के लिए. चाहे कोई भी मौसम हो
झुलसा देने वाली गर्मी हो, ठिठुरने वाली ठण्ड या फिर फिसलन भरी बरसात. काम
तो करना है पेट की आग बुझाने के लिए. बारिश के दिनों में चिकनी सफ़ेद छुई
खदान में जाना कोई आसान काम नहीं, जान हथेली पर रहती है. उसपर कुछ ज्यादा
पैसे पाने की चाह उसे खदान में अधिक गहराई तक जाने को मजबूर कर देती. दो
बरस पहले इस मजबूरी ने उसके सिन्दूर के लाल रंग को भी सफ़ेद छुई - मिट्टी बदल में
दिया. अकेली रह गई है तब से एक मासूम बेटी के साथ.
बस्ती के चूल्हे भी अब बहुत कम ही रह गए हैं मिट्टी के. नहीं तो पहले
हर घर में मिट्टी के चूल्हे, सुबह - शाम के भोजन बनने के बाद रात को राख-
लकड़ी को साफ़ करके छुई - मिट्टी से पुतकर सौंधी -सौंधी खुशबू से महकते थे. ना
रहे वह पहले वाले गोबर से लिपे सुन्दर आँगन जिसके बीचोंबीच तुलसी के चबूतरे
में दीपक जगमगाते थे, इसलिए आजकल जंगल से लकड़ियाँ भी चुन लाती है वह.
कई दिनों से मिट्टी और लकड़ियाँ बेचकर अपना पेट भरने वाली माँ-बेटी आधा
- पेट भोजन कर सो जाती हैं, क्योंकि आधी लकड़ियों से घर के चारों ओर बाड़
बना रही थी वह बेटी की सुरक्षा के लिए. भूख उनके चेहरे पर साफ़ नज़र आ रही
थी, मासूम का मुरझाया चेहरा माँ की तरह अपना दुःख छुपा नहीं सका.
कई दिनों बाद दोनों के चेहरों पर पहले जैसी शांति नज़र आ रही है. बेटी
की सुरक्षा के लिए चिंता करती भोली माँ जान गई है कि भूखे रहकर जो सुरक्षा
घेरा वह बना रही है, उन भूखे भेड़ियों के लिए कोई मायने नहीं रखता, इसलिए
उसने आज बेटी को दे दिया है अपना लकड़ी काटने वाला हंसिया, और साथ में वह
गुर जिससे वह काट कर रख दे अपनी ओर गलत निगाहें उठाने वाले का सिर.
निश्चिन्त होकर गई रामरती। सिर्फ आज ही उन्हें सोना होगा आधा पेट क्योंकि
अधपेट रहकर खरीदेगी एक नया हंसिया. आज की भूख उन्हें देगी भूख से मुक्ति और
भूखे भेड़ियों से सुरक्षा.


