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मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016

इसलिए तो हम सब हैं...

सूरज
किरणें
चाँद 
चांदनी 
बादल 
बरखा
बसंत
बहार
फूल
खुशबु
रास्ते
मंज़िल
साँसे
धड़कन
प्रेम
विश्वास
दुनिया
खुशियाँ
सपने
अपने हैं
इसलिए तो हम सब हैं...

9 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 04-02-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2242 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

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  2. सच लिखा है ... हमारा अस्तित्व इन्ही से है ... बहुत भावपूर्ण ...

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