पेज

गुरुवार, 21 मार्च 2013

बिरवा शब्द का.... संध्या शर्मा

संभव है वह भूल जाए
लेकिन मैंने संभाल रखा है
तुम न पहचानो मगर
बेखटके आता-जाता है
मेरी कविताओं में
उसका वह एक शब्द ...
देखना एक न एक दिन
मैं तुम्हारे मन में
रोप जाऊंगी बिरवा
उसी शब्द का
फिर खिलेंगे
तुम्हारे मन के द्वार पर
शब्दों के सुन्दर फूल
जिसकी खुशबू से
तुम्हारा आँगन ही नहीं
पूरा संसार महकेगा
बस तुम विश्वास रखना
मन का द्वार खुला रखना....!

29 टिप्‍पणियां:

  1. लहलहाएगी कविता की लता....
    महकाएगी भावों की बेला चमेली......

    बहुत सुन्दर.
    सस्नेह
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  2. शब्दै मारा गिर पड़ा,शब्दै छोड़ा राज
    जिन्ही शब्द विवेकिया तिनका सरिगौ काज…

    शब्द का एक बिरवा अनंत कथा का रुप ले सक्ता है जो सदियों तक चलती हैं।
    सारी महिमा शब्द की है।
    गहन भाव समेटे हुए है आपकी कविता।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना. आपकी अन्य कविताएँ भी बहुत अच्छी हैं.
    सादर
    नीरज 'नीर'
    KAVYA SUDHA (काव्य सुधा):

    जवाब देंहटाएं
  4. भावपूर्ण ... प्रेम का बिरवा खिलेगा उम्र भर ...
    प्रेम के शब्द से प्रेम ही उपजेगा ...

    जवाब देंहटाएं
  5. आपके विश्‍वास से उनका मन का द्वार जरुर खुलेगा।

    जवाब देंहटाएं
  6. आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 23/03/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  7. शब्द का बीज ही विशाल तरु बनता है..सुंदर रचना, आभार !

    जवाब देंहटाएं
  8. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (23-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

    जवाब देंहटाएं
  9. शब्दों की माया अपार है,बसर्ते शब्द रूपी बीज रोप कर विशाल आकार देने की क्षमता होनी चाहिए,,
    RecentPOST: रंगों के दोहे ,

    जवाब देंहटाएं
  10. यही बिरवा तो वटवृक्ष है भावों का.. बहुत ही अच्छी लगी ..

    जवाब देंहटाएं
  11. रोप जाऊंगी बिरवा
    उसी शब्द का
    फिर खिलेंगे
    तुम्हारे मन के द्वार पर
    शब्दों के सुन्दर फूल
    जिसकी खुशबू से
    तुम्हारा आँगन ही नहीं
    पूरा संसार महकेगा
    बस तुम विश्वास रखना
    मन का द्वार खुला रखना....!

    मन के अंतस को छूता और झकझोरता बिरवा
    बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं
  12. बस तुम विश्वास रखना
    मन का द्वार खुला रखना....!

    ....बहुत खूब! बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना,सादर आभार.

    जवाब देंहटाएं
  14. शब्द में सारा अर्थ निहित है -अजर है शब्द!

    जवाब देंहटाएं
  15. तुम्हारे मन के द्वार पर
    शब्दों के सुन्दर फूल
    जिसकी खुशबू से
    तुम्हारा आँगन ही नहीं
    पूरा संसार महकेगा
    बस तुम विश्वास रखना
    मन का द्वार खुला रखना....!बहुत सुन्दर भाव सजोये सुन्दर रचना
    latest post भक्तों की अभिलाषा
    latest postअनुभूति : सद्वुद्धि और सद्भावना का प्रसार

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत सुन्दर ...
    पधारें "चाँद से करती हूँ बातें "

    जवाब देंहटाएं
  17. मन के भावों को जब शब्दों का साथ मिलता है तो इस तरह की कविता जन्म लेती है ...बहुत खूब

    जवाब देंहटाएं
  18. अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने ... आभार

    जवाब देंहटाएं
  19. होली की अग्रिम शुभकामनाएँ स्वीकारें !

    जवाब देंहटाएं
  20. बहुत सराहनीय प्रस्तुति.बहुत सुंदर. आभार !

    ले के हाथ हाथों में, दिल से दिल मिला लो आज
    यारों कब मिले मौका अब छोड़ों ना कि होली है.

    मौसम आज रंगों का , छायी अब खुमारी है
    चलों सब एक रंग में हो कि आयी आज होली है

    जवाब देंहटाएं
  21. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    रंगों के पर्व होली की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामंनाएँ!

    जवाब देंहटाएं

  22. भावुक अनुभूति सार्थक रचना
    बहुत बहुत बधाई
    होली की शुभकामनायें

    aagrah hai mere blog main bhi padharen
    aabhar


    जवाब देंहटाएं
  23. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल 26/3/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका स्वागत है ,होली की हार्दिक बधाई स्वीकार करें|

    जवाब देंहटाएं