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बुधवार, 28 नवंबर 2012

ये सुंदरियां...संध्या शर्मा

http://24.media.tumblr.com/tumblr_m56vo0IpKz1roady0o1_1280.jpgअभिव्यक्ति की सुंदरियां 
भावों के कालजयी मंच पर
हंसती, मुस्कुराती,गाती
ख़ुशी से थिरक रही हैं
मंद, तेज़ चाल चलती
शब्दों की रंग बिरंगी
चूनर पहन इठलाती
करती फिर रही हैं
प्रतिभा का प्रदर्शन 
रूप का जादू दिखाती
सजीली मुस्कान लिए
आभार प्रकट करती...

हमारे मन की व्याकुलता
झंझावातों की तपिश
नयनो में उमड़ता
अस्तित्व का ज्वार
झूठी प्रसंशा से भरी
करतल ध्वनियाँ
इतनी पीड़ा के घाव
उनका ठाठ-बाट
ऐश्वर्य-वैभव सब कुछ
बनाये रखेगा
क्या उनका भी हृदय
हो जायेगा विह्वल
द्रवित मन बचा सकेगा
उनकी यह सुन्दरता...

क्या तब भी ये सुंदरियां
बाहर से जैसी दिखती है
अन्दर भी वैसी ही होंगी ?????

20 टिप्‍पणियां:

  1. हमारे मन की व्याकुलता
    झंझावातों की तपिश
    नयनो में उमड़ता
    अस्तित्व का ज्वार
    झूठी प्रसंशा से भरी
    करतल ध्वनियाँ
    इतनी पीड़ा के घाव
    उनका ठाठ-बाट
    ऐश्वर्य-वैभव सब कुछ
    बनाये रखेगा
    क्या उनका भी हृदय
    हो जायेगा विह्वल
    द्रवित मन बचा सकेगा
    उनकी यह सुन्दरता...

    इन पंक्तियों को पढ़ने के बाद कुछ कहने को रह ही नहीं जाता।
    सोचने को मजबूर करती कविता।

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. प्रत्येक पंक्ति के अक्षर स्वतः बयां कर रहे हैं उन नर्तकियों की व्यथा…
    और आपका तो इन चीजों मे महारत हासिल है … बहुत ही सुंदर

    जवाब देंहटाएं
  3. नर्तकियों की व्यथा की सहज शब्दों से सुंदर प्रस्तुति,,,,

    resent post : तड़प,,,

    जवाब देंहटाएं
  4. नर्तकियों की मनोव्यथा को शब्द दिए है आपने...
    संवेदनशील रचना....

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  5. सुन्दर और गहन रचना है...
    व्यथित करते हुए भाव हैं...

    सस्नेह
    अनु

    जवाब देंहटाएं

  6. कल 30/11/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  7. एक नर्तकी पहले नारी है ...और नारी मन की पीड़ा ,अलग नहीं हो सकती |

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  8. गहन भाव। ठीक से समझ नहीं पा रहा हूँ कि आपका आशय नृत्यसुंदरियों से है अथवा हमारे अतर्अभिव्यक्ति रूपी सुंदरियों से। पर पढते समय मन खो जाता है।
    सादर-
    देवेंद्र
    मेरी नयी पोस्ट- कार्तिकपूर्णिमा

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  9. अरे, अभिव्यक्ति की एक सुंदरी आप भी तो हैं :)
    शब्दों की रंग बिरंगी चुनर यहाँ भी नज़र आ रही है।
    चलिए एक सुंदरी हम भी बन जाते हैं ...आपका आभार प्रकट करके। :)

    जवाब देंहटाएं
  10. अरे, अभिव्यक्ति की एक सुंदरी आप भी तो हैं :)
    शब्दों की रंग बिरंगी चुनर यहाँ भी नज़र आ रही है।
    चलिए एक सुंदरी हम भी बन जाते हैं ...आपका आभार प्रकट करके।

    (दोबारा ये कमेन्ट दे रही हूँ, लगता है पहला कमेन्ट स्पैम में चला गया)

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत ही खुबसूरत प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।

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  12. अभिव्यक्ति रूपी सुंदरियों के भिन्न भिन्न रूप ... अच्छी अभिव्यक्ति

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  13. मन की व्यथा को छुपाना आसान नहीं होता ... पर मजबूरियाँ कभी कभी साथ नहीं देती ...

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  14. इन अभिव्यक्ति की सुंदरियों को अवश्य बचाना होगा .ये हमारा नैतिक दायित्व है ..

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  15. बहुत ही अच्छी विचारणीय रचना ।

    जवाब देंहटाएं
  16. कल 08 /मार्च/2015 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद !

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  17. अंतर्मन की व्यथा समझना आसान नहीं ..
    बहुत बढ़िया प्रस्तुति ..
    होली की हार्दिक मंगलकामनाएं!

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