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बुधवार, 26 सितंबर 2012
बुधवार, 19 सितंबर 2012
द्वितीयोनास्ति... संध्या शर्मा
हम सभी
मानते, कहते आये हैं
कण-कण में, तनमन में
भगवान है...
बिना किसी खोज
बिना किसी तर्क के
आँखों से देखा नहीं
सुनाई नहीं देता
स्पर्श तो दूर की बात है
गुण गंध से अनजान
तब भी....
कहीं तो है
कोई तो है
क्या है उसका नाम
'ग़ॉड पार्टिकल' कहें
या 'हिंग्ज़ बोसान'
नामहीन, गुणहीन
किसी भी नाम से पुकारो
डॉक्टर भी इलाज करते कहते हैं
उपचार करने वाला मैं हूँ
ठीक करने वाला वही है
प्रयत्नकर्ता हम है
यशदाता कोई और है
उसमें हममें बस भेद यही,
हम नर हैं वह नारायण
कुछ भी कर लो निर्माण
पर कैसे डालोगे प्राण...?
मानते, कहते आये हैं
कण-कण में, तनमन में
भगवान है...
बिना किसी खोज
बिना किसी तर्क के
आँखों से देखा नहीं
सुनाई नहीं देता
स्पर्श तो दूर की बात है
गुण गंध से अनजान
तब भी....
कहीं तो है
कोई तो है
क्या है उसका नाम
'ग़ॉड पार्टिकल' कहें
या 'हिंग्ज़ बोसान'
नामहीन, गुणहीन
किसी भी नाम से पुकारो
डॉक्टर भी इलाज करते कहते हैं
उपचार करने वाला मैं हूँ
ठीक करने वाला वही है
प्रयत्नकर्ता हम है
यशदाता कोई और है
उसमें हममें बस भेद यही,
हम नर हैं वह नारायण
कुछ भी कर लो निर्माण
पर कैसे डालोगे प्राण...?
शुक्रवार, 14 सितंबर 2012
खौफ़.... संध्या शर्मा
रात काफी हो गई है
कितना वक़्त हो गया
सो जाना था अब तक मुझे
नींद है कि आने का नाम नहीं लेती
कवि हूँ, क्या नहीं कर सकती
कहाँ नहीं जा सकती
मन कहता है कहीं घूम आऊं
कहाँ जाऊं
रात है
गहरी काली रात
और लिख रही हूँ मैं
बिना किसी भय के
अचानक यह आवाज़ कैसी?
शायद ट्रकों के आपस में टकराने की आवाज़
भ्रम नहीं है यह ना कोई सपना
यथार्थ है
पहुँच गया मन मेरा वहां
ओह... कितना भयानक दृश्य
बिखरी हुई लाशें
बहता हुआ गरम खून
भिनभिनाते हुए मच्छर
और कोई भी नहीं
देखना....
कल कुछ नहीं होगा यहाँ
हाँ एक खबर जरुर बन जाएगी
छाप जाएगी अखबारों में
और मैं....
मैं अब भी जागूंगी
इस आह्ट के खौफ़ से........
कितना वक़्त हो गया
सो जाना था अब तक मुझे
नींद है कि आने का नाम नहीं लेती
कवि हूँ, क्या नहीं कर सकती
कहाँ नहीं जा सकती
मन कहता है कहीं घूम आऊं
कहाँ जाऊं
रात है
गहरी काली रात
और लिख रही हूँ मैं
बिना किसी भय के
अचानक यह आवाज़ कैसी?
शायद ट्रकों के आपस में टकराने की आवाज़
भ्रम नहीं है यह ना कोई सपना
यथार्थ है
पहुँच गया मन मेरा वहां
ओह... कितना भयानक दृश्य
बिखरी हुई लाशें
बहता हुआ गरम खून
भिनभिनाते हुए मच्छर
और कोई भी नहीं
देखना....
कल कुछ नहीं होगा यहाँ
हाँ एक खबर जरुर बन जाएगी
छाप जाएगी अखबारों में
और मैं....
मैं अब भी जागूंगी
इस आह्ट के खौफ़ से........
सोमवार, 10 सितंबर 2012
कोई आया भी तो......संध्या शर्मा
जब बीत गया सावन
घिरकर क्या करेंगे घन
सूखे मन के उपवन में
कोई आया भी तो क्या आया
ख़ुशी बसंती बयार हो
कोयल गीत गाती हो
बसंती राग पतझर ने
कोई गाया भी तो क्या गाया
लगी हो आग सावन में
तन-मन झुलसा हो
जल रहा गीत जब हो
कोई मल्हार गाया तो क्या गाया
खुली रखीं प्रतीक्षा में
जाने कब से ये आँखें
थककर मूँद ली पलकें
कोई आया भी तो क्या आया
तड़पकर बूँद को जिसकी
प्यासा मर गया चातक
सजल घन मौत पर उसकी
कोई रोया भी तो क्या रोया
जीवन भर उजाले को
भटकती रही व्याकुल
जलाकर दीप समाधि पर
कोई लाया भी तो क्या लाया
घिरकर क्या करेंगे घन
सूखे मन के उपवन में
कोई आया भी तो क्या आया
ख़ुशी बसंती बयार हो
कोयल गीत गाती हो
बसंती राग पतझर ने
कोई गाया भी तो क्या गाया
लगी हो आग सावन में
तन-मन झुलसा हो
जल रहा गीत जब हो
कोई मल्हार गाया तो क्या गाया
खुली रखीं प्रतीक्षा में
जाने कब से ये आँखें
थककर मूँद ली पलकें
कोई आया भी तो क्या आया
तड़पकर बूँद को जिसकी
प्यासा मर गया चातक
सजल घन मौत पर उसकी
कोई रोया भी तो क्या रोया
जीवन भर उजाले को
भटकती रही व्याकुल
जलाकर दीप समाधि पर
कोई लाया भी तो क्या लाया
सोमवार, 3 सितंबर 2012
"अरमान"... संध्या शर्मा
संग तेरा पाने क्या क्या करना होगा मितवा,
सूरज सा उगना होगा या चाँद सा ढलना होगा.
सूरज सा उगना होगा या चाँद सा ढलना होगा.
खूब चले मखमली राहों पर हम तो मितवा,
काटों भरी राह में भी हँसकर चलना होगा.
काटों भरी राह में भी हँसकर चलना होगा.
तारीकी राहों की खूब बढ चुकी है मितवा,
चिंगारी को एक शोला बनके जलना होगा.
चिंगारी को एक शोला बनके जलना होगा.
तेरी आहट पे मचले हैं अरमान मेरे मितवा,
लगता है सर्द रातों को करवटें बदलना होगा.
लगता है सर्द रातों को करवटें बदलना होगा.
जिल्ले इलाही ने लगा रखा है पहरा मितवा,
आएगा दिन के उन्हे निजाम बदलना होगा.
आएगा दिन के उन्हे निजाम बदलना होगा.
तरसते है परवाज को कैद में परिंदे मितवा,
रहमते ख़ुदा हो गर तो उन्हे भी उड़ना होगा.
रहमते ख़ुदा हो गर तो उन्हे भी उड़ना होगा.
सांझ हुई चाँद-तारे निकल चुके हैं मितवा,
परींदे जा चुके घर अब हमें भी चलना होगा....
परींदे जा चुके घर अब हमें भी चलना होगा....