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बुधवार, 30 मई 2012

अधूरी कविता...संध्या शर्मा

जीवन के केनवास पर
आज फिर नए रंग
नयी तूलिका के साथ
कब से बना रही हूँ
एक तस्वीर
आड़ी टेडी
सीधी रेखाएं
क्या बना रही हैं
मैं खुद नही समझ सकी
क्यों है ये रंगों का बिखराव
क्यों है रेखाओं का उलझाव
क्यों नहीं दे रही तूलिका साथ

23 टिप्‍पणियां:

  1. न ज़ख्म मिले गहरे
    न खुशी मिली पूरी
    शायद इसीलिए यारों
    कविता रह गई अधूरी।

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  2. बिखराव ही कविता पूरी नहीं करने दे रहा ... सुन्दर भावाभिव्यक्ति

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  3. मैं खुद नही समझ सकी
    क्यों है ये रंगों का बिखराव
    क्यों है रेखाओं का उलझाव
    क्यों नहीं दे रही तूलिका साथ

    पूरा अर्थ देती सुंदर प्रस्तुति,,,,,

    RECENT POST ,,,,, काव्यान्जलि ,,,,, ऐ हवा महक ले आ,,,,,

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  4. अधूरापन तब लगता है जब शक्ति का संचय हो रहा होता है और शक्ति संचय के पश्चात पूरी शक्ति से कार्य करने से वह पूर्णता को प्राप्त होता है। अधूरा ही पूर्ण होता है। फ़िर पूर्ण से आगे कुछ नहीं होता। अपुर्णता ही जीवन पथ पर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है। आखिर एक दिन व्यक्ति पूर्णता को प्राप्त कर लेता है। समय है अभी शक्तियों के संचय का।

    अधूरी कविता अपने आप में पूर्ण है। सुंदर भाव लिए रगों के साथ तूलिकाए भी खींचेगी सूंदर चित्र और आकार लेगा एक ब्रह्माण्ड ।

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  5. पूर्णता की तलाश मे .....मन ....!!!
    चलते रहें...
    शुभकामनायें ...!!

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  6. उलझा सा मन जो है...........

    सुंदर भाव...

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  7. मैं खुद नही समझ सकी
    क्यों है ये रंगों का बिखराव
    क्यों है रेखाओं का उलझाव
    क्यों नहीं दे रही तूलिका साथ

    ....कुछ प्रश्न अनुत्तरित रह जाते हैं...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

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  8. कुछ बातें अधूरी दिखते हुए भी पूरी होती हैं.. सुंदर रचना..
    आभार!!

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  9. अक्सर ऐसा ही होता है जीवन में बहुत कुछ अधूरा ही रह जाता है ।

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  10. जीवन के कैनवास पर आज तक जो भी रचा गया है वह अधूरा ही है..वही तो गति देता है पूर्णता की ओर, बहुत सुंदर भाव!

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  11. फिर भी चित्र खुबसूरत ही लगते हैं..

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  12. अधूरापन ही गति है... पूर्णता विराम... और जीवन गतिशीलता ही माँगता है....

    सुन्दर शब्द/भाव संयोजन....
    सादर

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  13. यह भी तो जीवन का ही क्रम है , कभी सबकुछ हाथ से फिसल जाता है

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  14. bahut hi behtarin bhav abhivykti..
    chitra purn hoga aur kavita bhi ..
    aur ek naya rang bikherega jivan me....

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  15. जीवन एक कैनवास है इसमें जितना भी रंग भरो अधूरा ही लगता है...सुन्दर अभिव्यक्ति..

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  16. तूलिका मन की हो और रंग हो उमंग के ,फिर देखें चित्र और चित्त दोनों निखर जायेंगे |

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  17. हो सकता है लिखने से पहले ही पूरी हो गयी हो जो अभी तक आपको अधूरी लगती है |

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  18. जीवन के केनवास पे जब रंग उतारने हों तो तूलिका किस्मत बन के कभी कभी साथ नहीं देती ...
    गहराई में डूब के लिखी है रचना ...

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  19. उलझने जीवन का एक अभिन्न हिस्सा हैं ...
    शुभकामनायें आपको !

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