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आकांक्षा... संध्या शर्मा
खूब सो लिए जाग जाओ न,
तुम आलस दूर भगाओ न.
कल कर लेना कल की बातें,
तुम गीत सुहाने दुहराओ न.
गहरे सागर से चुन-चुन कर,
चमकीले मोती ले आओ न .
जीवन की उर्वर धरती पर,
कुछ अपना सा बो जाओ न .
इन्द्रधनुष सा बनकर चमको,
तुम बादल जैसे छा जाओ न .
सांझ बीत गई रात आ गई,
अब चाँद को घर ले आओ न .
सांझ बीत गई रात आ गई,
जवाब देंहटाएंअब चाँद को घर ले आओ न .waah...
जीवन की उर्वर धरती पर,
जवाब देंहटाएंकुछ अपना सा बो जाओ न .
इन्द्रधनुष सा बनकर चमको,
तुम बादल जैसे छा जाओ न .
वाह ...बहुत खूबसूरत खयाल ...
जीवन की उर्वर धरती पर,
जवाब देंहटाएंकुछ अपना सा बो जाओ न .
सुंदर सपने ...
सुंदर अभिव्यक्ति ...!
शुभकामनायें ..!
इन्द्रधनुष सा बनकर चमको,
जवाब देंहटाएंतुम बादल जैसे छा जाओ न .
वाह ,,,, बहुत सुंदर रचना,,,लाजबाब पंक्तियाँ,,,,
RECENT POST काव्यान्जलि ...: किताबें,कुछ कहना चाहती है,....
बहुत बढि़या.
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारी कविता है...संध्या जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संध्या जी....
जवाब देंहटाएंजीवन की उर्वर धरती पर,
कुछ अपना सा बो जाओ न .
इन्द्रधनुष सा बनकर चमको,
तुम बादल जैसे छा जाओ न .
बहुत प्यारी रचना.
ऐ सूरज तुम आओ न
जवाब देंहटाएंsundar sapane .sundar khayal..
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar ,pyari rachana...:-)
इतनी सुन्दर मनुहार पर महा आलसी ..आलस.. भी भला कैसे रीझे न..
जवाब देंहटाएंसांझ बीत गई रात आ गई,
जवाब देंहटाएंअब चाँद को घर ले आओ न .
बहुत सुंदर प्यार भरा आग्रह..पर दिल दीवाना माने ना....
इन्द्रधनुष सा बनकर चमको,
जवाब देंहटाएंतुम बादल जैसे छा जाओ न .वाह: बहुत सुन्दर भाव..
उम्मीद और आशा का संचार करती ये पोस्ट बेहतरीन लगी।
जवाब देंहटाएंसांझ बीत गई रात आ गई,
जवाब देंहटाएंअब चाँद को घर ले आओ न
....लाज़वाब पंक्तियाँ ! बहुत सकारात्मक और भावमयी प्रस्तुति...
प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरी कामना है कि आप अहर्निश सृजनरत रहें । मेरे नए पोस्ट अमीर खुसरो पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंजीवन की उर्वर धरती पर,
जवाब देंहटाएंकुछ अपना सा बो जाओ न .
सुंदर पंक्तियाँ..... विचारणीय बात
वाह...बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति...
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