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शनिवार, 11 फ़रवरी 2012

अभियान नए- बलिदान नए... संध्या शर्मा

सकल भुवन के आँगन गूंजे,
आलोकित मंगल - गान नए .
कोटि-कोटि जन मिलजुल छेड़ें,
एकता के अभियान नए .
कैसी थी वह हिम्मत अपनी,
कौन सा था वह अद्भुत बल .
छुपे थे जिसमे सब प्रश्नों के,
सीधे सच्चे सुन्दर हल .

जिसने गुलामी की बेडी को,
काट हमें आज़ाद किया .
नए सिरे से उजड़े गुलशन को,
फिर जिसने आबाद किया .
वक़्त मांगता उसी शक्ति से,
फिर हमसे बलिदान नए .
बेशक पूरब - पश्चिम जायें,
उत्तर- दक्षिण की धारा जोड़ें .
जाल बिछा लम्बी सड़कों का,
चाहे भारत सारा जोड़ें .
लेकिन उससे पहले जोड़ें,
टूटे, बिखरे, छिटके दिल .
नवयुग के नवराष्ट्र  यज्ञ में,
बच्चा-बच्चा होगा शामिल .

ऊँच-नीच का रंग-रूप का,
भेद भूल करें काम नए.
हर भारतवासी जन को,
एक दीपक सा बनना होगा .
पहले खुद के भीतर का ही,
अँधियारा हरना होगा .
जिन्हें प्रकाशित करना है,
अपनों का जीवन .
उन्हें सत्य की ज्वाला में,
हर एक पल जलना होगा .
दिव्य पराक्रम से ही होंगे,
सृजन नए, निर्माण नए.

लाल हैं हम भारत-माता के,
अलग कभी ना हो सकते .
सब मिल देंगे माता को,
रत्न नए परिधान नए .
कोटि-कोटि जन मिलजुल छेड़ें,
एकता के अभियान नए.....


21 टिप्‍पणियां:

  1. हर भारतवासी जन को,
    एक दीपक सा बनना होगा .
    पहले खुद के भीतर का ही,
    अँधियारा हरना होगा .
    जिन्हें प्रकाशित करना है,
    अपनों का जीवन .
    उन्हें सत्य की ज्वाला में,
    हर एक पल जलना होगा .
    दिव्य पराक्रम से ही होंगे,
    सृजन नए, निर्माण नए... ओजस्वी रचना

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  2. सार्थक आव्हान ....बहुत सुंदर भाव हैं रचना के....

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  3. देशभक्ति के जज्‍बे को सलाम।
    बेहतरीन कामना....

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  4. लाल हैं हम भारत-माता के,
    अलग कभी ना हो सकते .
    सब मिल देंगे माता को,
    रत्न नए परिधान नए .
    कोटि-कोटि जन मिलजुल छेड़ें,
    एकता के अभियान नए.....

    ओजपूर्ण भावों में रचित यह रचना अभियानों और बलिदानों को नए आयाम देती है ......!

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  5. एक प्रेरक और आशावादी रचना!

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  6. लाल हैं हम भारत-माता के,
    अलग कभी ना हो सकते .
    सब मिल देंगे माता को,
    रत्न नए परिधान नए .
    कोटि-कोटि जन मिलजुल छेड़ें,
    एकता के अभियान नए.....

    एकता ही किसी राष्ट्र का संबल है।
    प्रेरणादायी कविता।

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  7. बहुत सुन्दर लाजबाब प्रस्तुतीकरण|

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  8. बहुत सुन्दर लाजबाब प्रस्तुतीकरण|

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  9. ओजपूर्ण आव्हान..बहुत सुंदर रचना .

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  10. बेहतरीन ओजपूर्ण सुंदर सार्थक रचना,
    बहुत अच्छी प्रस्तुति,....

    MY NEW POST ...कामयाबी...

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  11. बेशक पूरब - पश्चिम जायें,
    उत्तर- दक्षिण की धारा जोड़ें .
    जाल बिछा लम्बी सड़कों का,
    चाहे भारत सारा जोड़ें .
    लेकिन उससे पहले जोड़ें,
    टूटे, बिखरे, छिटके दिल .

    ...बिलकुल सच...बहुत ओजपूर्ण रचना..

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  12. देश प्रेम की भावना जागृत करती ... एक सोत्र में पिरोने की ललक लिए ... लाजवाब रचना है ...

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  13. बहुत सुन्दर सृजन , बधाई.

    मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" की नवीनतम पोस्ट पर आप सादर आमंत्रित हैं.

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  14. बहुत सुंदर और ओजमयी प्रस्तुति...आभार
    (इस रचना पर मैंने पहले भी कमेन्ट दिया था, लेकिन दिखाई नहीं दिया शायद स्पैम फोल्डर में चला गया.)

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