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गुरुवार, 6 जनवरी 2011

MUJHKO MANN CHAHIYE

मुझको मन चाहिए 
जिसमे नफरत न हो 
मुझे ऐसा मन चाहिए
जहाँ शांति बसे
ऐसा वतन चाहिए
जहाँ फूलों पर न काँटों का घेरा हो 
ऐसा चमन चाहिए
जिसमे पतझड़ न हो 
एक ऐसा मधूबन चाहिए
प्यार की खुशबू से  महके 
ऐसी पवन चाहिए
इस दुनिया में जहाँ सबको धन चाहिए
मुझको तो बस एक सुंदर सा मन चाहिए
मुझको मन चाहिए ..........

18 टिप्‍पणियां:

  1. अपने मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिये हैं।बधाई।

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  2. आपकी रचना वाकई तारीफ के काबिल है ........संध्या जी

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  3. संजय जी, इतनी अच्छी और खूबसूरत प्रशंसा के लिए आपका बहुत - बहुत शुक्रिया,,,,

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  4. सुंदर रचना
    इस बार मेरे ब्लॉग पर
    " मैं "

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  5. फ़ूल और कांटे दोनो जीवन की सच्चाई है

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  6. @ Dipti Sharmaji
    @ Rajeshji(Muskan)
    @ Arun Sathiji
    Aap sabhi ko in khoobsoorat comments ke liye dhanywad.... Aap sabhi ka blog par swagat hai...

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  7. मुझको तो बस एक सुंदर सा मन चाहिए
    मुझको मन चाहिए ..........
    bahut achchi lagi.

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  8. संध्या जी,
    बहुत ही कोमल और सुन्दर भावनाओं को आपने अपनी लेखनी से उकेरा है !
    मेरी ढेरों शुभकामनाएँ !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  9. इस दुनिया में जहाँ सबको धन चाहिए
    मुझको तो बस एक सुंदर सा मन चाहिए
    सुन्दर बहुत सुन्दर.

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  10. आपको और आपके परिवार को मकर संक्रांति के पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ !"

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  11. sandhya jii

    apki man chahiye, naya saal aur khoobsoorti teeno rachnaye padhi......waakai bahut sunder likhti hain aap.........

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  12. आप सब को भी मकर संक्रांति, लोहरी एवं पोंगल की हार्दिक शुभकामनाएं...

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  13. Mradulaji, Gyanchandji, Vandanaji, Dimpleji, Sanjay Bhaskarji, Devendra Sharmaji aap sabhi ne meri rachna ko itna saraha aur pyar diya iske liye main aap sabhi ki bahut - bahut aabhari hun, Aise hi meri housla afjai karte rahiyega.. Dhanywad.

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  14. जिसमे नफरत न हो
    मुझे ऐसा मन चाहिए
    xxxxxxxxxxxxxxxxx
    इस दुनिया में जहाँ सबको धन चाहिए
    मुझको तो बस एक सुंदर सा मन चाहिए
    कविता बहुत अच्छी लगी बहुत भावपूर्ण है
    आपने जो कामना की है दुनिया में अगर ऐसा किसी के साथ हो जाता है तो ..उसे उससे बढ़कर क्या चाहिए ...पर कल्पना बहुत सुंदर है ....शुक्रिया

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  15. maine kahaa....shaayad aapke paas aisaa man pahle se hi hai....varnaa aisa likhti kaise....acchha likhaa hai aapne,,,

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  16. केवल राम जी आपका ब्लॉग पर बहुत - बहुत स्वागत है......आपकी इतनी सुंदर सी प्रतिक्रिया के लिए आभार..यूँ ही अपना मार्गदर्शन देते रहिये ताकि और भी प्रगति कर सकूँ ..
    राजीव जी आपने तो सच में मुझे पहचान दे दी है ,मुझे अब ऐसा लगता है, हर किसी के पास न सही पर बहुत से मन है ऐसे..शुक्रिया.. आप सब को भी मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं...

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