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मंगलवार, 21 दिसंबर 2010

"MERI MAA"

"मेरी माँ"
साल साल बीतते बीतते
बीत गए दस साल
तुम साथ थी...
ऐसा लगता है ,
कल की ही बात थी,
कैसे भूलूंगी तुमको
मैं तो तुम्हारी परछाई हूँ
दुःख में ख़ुशी में 
ख़ामोशी में, तन्हाई में
हर पल तुम्हे साथ पाती हूँ
और 
चलती हूँ चुपचाप ....
तुम्हारी दिखाई राह पर 
कल तुम्हारी बेटी भी 
कुछ ऐसा कर जाए
दुनिया भी मुझमे
तुम्हारी ही झलक पाए...........  







9 टिप्‍पणियां:

  1. सचमुच, मां भगवान का ही दूसरा रूप है।
    मां को समर्पित सबसे श्रेष्ठ रचना।
    मां को नमन।

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  2. ..आज की तुम्हारी यह कविता इतनी पसंद आई की बताना मुश्किल है इतना अच्छा और सच्चा लिखा है की प्रसंशा को शब्द नहीं मिलते .

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  3. आपकी प्रसंशा भी इतनी सच्ची और अच्छी है, की आभार प्रकट करने के लिए शब्द कम पड़ रहे है ..........
    आपका बहुत बहुत धन्यवाद्..............

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  4. माँ पे लिखी हर कविता मुझे बेहद पसंद आती है :)

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  5. एक और बात, ये तस्वीर भी मुझे बहुत पसंद है...बहुत पहले अपने ब्लॉग के एक पोस्ट में यही तस्वीर मैंने लगाईं थी..

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  6. सभी का भी शुक्रिया जिन्होंने मेरी कविता को सराहा है ....

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