उर की अनंत गहराइयों में
बिन खाद पानी के जन्मे
बीज होते है स्वप्न
जब बीज है तो पनपेगा
फूलेगा फलेगा
और आकार लेगा
विशाल वृक्ष का
जब वृक्ष होगा
तो घोंसले भी होंगे
जब घोंसले होंगे
चहकेंगें फुदकेंगे पंछी
होगा कलरव गान
स्वप्न तो स्वप्न होते हैं
परिश्रम और कर्म से सींच
लहलहाना होगा इन्हें
यदि यथार्थ में सुनना है
इन पंछियों का खुशियों भरा
लुभावना जीवन राग...