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बुधवार, 31 दिसंबर 2014

हर आने वाली सुबह है नया साल...

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कारवां जीवन का चलता यूं
दिन ढलता, रात, फ़िर सुबह
झट उनींदी सी आँखें मलते 
समेटकर बिखरे-बिखरे बाल 
रोज़ जिस वक़्त जागते सब 
साड़ी के पल्लू से कमर कसे 
चल देती रचने एक अध्याय  
जीत लेती रोजमर्रा की जंग 
जारी है   ज़िन्दगी का सफर 
ख़ुशी से अपनी धुन में मस्त 
कुछ खट्टे कुछ मीठे से पल 
काव्य हो जाते शब्दों में ढल 
कभी कविता तो कभी नज़म 
हर दिन एक जीत सा जीवन
गुज़रा दिन बन जाता पिछला 
आने वाली सुबह है नया साल ...

16 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर ...नव वर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएं!

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  2. जीवन के इस कारवां के अगले पड़ाव के लिये और हासिल होने वाली हर नयी जीत के लिये ढेर सारी शुभकामनायें ! नया साल आपको सपरिवार मुबारक हो ! हार्दिक मंगलकामनाएं !

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  3. सुन्दर प्रस्तुति ......आपको नव वर्ष की ढेरों शुभकामनाएं!!

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  4. नव वर्ष की ढेरों शुभकामनाएं .......

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति .नव वर्ष की शुभकामनाएं

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  6. उम्मीद जगाती पंक्तियाँ..नये वर्ष की शुभकामनायें..

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  7. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक चर्चा मंच पर वर्ष २०१५ की प्रथम चर्चा में दिया गया है
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ

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  8. सुन्दर प्रस्तुति .नव वर्ष की शुभकामनाएं

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  9. सूरज की नव किरणों संग फ़ैले खूब उजास
    जीवन के सारे कलूष अब हो जाएं खल्लास

    नववर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं

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  10. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    नव वर्ष-2015 आपके जीवन में
    ढेर सारी खुशियों के लेकर आये
    इसी कामना के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  11. संध्या जी
    नमस्कार !
    काव्य हो जाते शब्दों में ढल
    कभी कविता तो कभी नज़म
    छोटी पर अति प्रशंसनीय एवं मनमोहक कविता नये वर्ष की शुभकामनायें

    संजय भास्कर

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