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गुरुवार, 24 अक्टूबर 2013

कहो कछु गलत तो नईया ???

अजब जमानो आयो रे भैया
मंहगाई ने कराओ ता थैया
सस्ता मोबाईल मंहगा तेल
चल रओ मनरेगा को खेल
खुद की भर गई सारी जेब
दब गए हैं तुमाए सारे ऐब
सूखे में डूब रही हमाई नैया
अजब जमानो आयो रे भैया

नौ सिलेंडर में काम चलाएं
नहीं चले तो झांझर बजाएं
नई तो न्यारो कर लो चूल्हा
ब्याव कराए बनके दुल्हा
अब काय काट गई ततैया 
परीक्षा लेय रही तुमाई मैया
मंहगाई ने कराओ ता थैया
अजब जमानो आयो रे भैया

हमाई बिनति सुन लो दाता
हमाओ सदाई है तुमसे नाता
चाहे रखो भिखारी हमको
चाहे तुम कर देवो धनवान
मध्यम श्रेणी में ना रखिओ
तुम दयालू हो किरपा निधान
नई तो हो जाहे हाय दैया दैया 
अजब जमानो आयो रे भैया

नेता तुमाई तो चाँदी चाँदी
नौकर चाकर रक्षक बाँदी
कितनई बड़ो घोटालो करो
सात पीढी को माल घर भरो
काटो थोड़े दिन की जेल
कछु दिन मे हो जाहे बेल
सब खेल करावे है रुपैया
अजब जमानो आयो रे भैया

खुद के बाल बिदेश पठाए 
वे सब अंग्रेजी में रोवे गाए
तुम सदा के चार सौ बीसी
लुगाई ने लगा लई बत्तीसी
देशी घोड़ी चले पूरबी चाल
जनता को अंदर करो माल
लूटो कह हिन्दी मोरी मैया
कहो कछु गलत तो नईया???

16 टिप्‍पणियां:

  1. देश की वर्तमान व्यवस्था पर प्रहार करती व्यंग्य रचना

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  2. कल 26/10/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  3. देश की वर्तमान स्थिति पर
    सटीक रचना...

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  4. कछु गलत नईया …कैसो लगावेगो पार प्रभू देस की नइया……वर्तमान इस देश का, बरनेउ सुंदर आप। मद्धयम-वर्गी तप रहा, वर्तमान का ताप ॥ ……जय जोहार ।

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  5. अजब जमानो आयो रे भैया
    मंहगाई ने कराओ ता थैया
    "मन मोह लिया आपने"

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  6. इसे पढ़ते हुए तो नाचने का मन हो रहा है ..वाह !

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  7. देश के हालात पे टीका है ... आज तो लपेट लिया सरकार को आपने ...

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  8. जे भई न कछू बात. जो ई तो समस्या हो रई कौनौ नेता, कौनौ पैसा वालन को हमाए माध्यम वर्गीय की कौनौ फिकर नईया. इते हम मर रए उते वे नाच रए ता धिन तैया....

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  9. सब कछु गलत ही हो रहो भइया
    महंगाई के सूखे में डूबी नैया।

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