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बुधवार, 31 अक्टूबर 2012

तुम जो मिल गए हो... संध्या शर्मा

मेरे जीवन का 
हर रंग, हर अहसास
हर महक, हर स्वाद
सिर्फ तुमसे है
कोई वजूद नहीं मेरा
तुम्हारे बिना
मेरी आँखों में
चमकता है
तुम्हारा प्यार
महकती है
तुम्हारी खुशबू से
मन की रजनीगंधा 
रौशन है
तुम्हारी चांदनी से
मेरी हर शाम
तुम्हारा साथ
आशा की रेशमी डोर
तुम्हारा हाथ
मज़बूत विश्वास
हर आहट मुझ तक
तुमसे होकर आती है
इतना ही  जानता है
मेरा कोमल मन
तुमसे मिला अपनापन
न्योछावर है तुमपर
मेरा सर्वस्व
समर्पित है तुम्हे
सारा जीवन..... 

12 टिप्‍पणियां:

  1. जीवन का अर्थ यही
    हो अर्पण पूर्ण समर्पण
    अंजुरी भर पुष्प श्रद्धा
    हो अर्चन पूर्ण तर्पण . सुंदर भाव ..... आभार

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  2. बहुत ही सुंदर कविता ...

    छत्तीसगढ़ राज स्थापना दिवस की

    बधाई सहित ......

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  3. बहुत ही सुंदर रचना ..
    समर्पण में ही तो सुख है ..

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  4. कोमल भावों की सहज अभिव्यक्ति , समर्पण जीवन का सुख है , प्रेम की चरम सीमा , कविता प्रारंभ में लौकिक प्रेम को अभिव्यक्त करती लगती है , लेकिन अंतिम पंक्तियों में अध्यात्मिक भाव की तरह ले जाती है जो कि कवियित्री की काव्य कुशुलता का परिचायक है ...!

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  5. तुमसे मिला अपनापन
    न्योछावर है तुमपर
    मेरा सर्वस्व
    समर्पित है तुम्हे
    सारा जीवन..... समर्पण भाव की उत्कृष्ट प्रस्तुति,,,,

    RECENT POST LINK...: खता,,,

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  6. प्रेम की यही तो पहचान है...सुंदर भावपूर्ण रचना !

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  7. बहुत ही सुन्दर प्रेममयी रचना..
    beautiful...
    :-)

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  8. कोमल भावों से सजी ..
    ..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती पेश की आपने संध्या जी

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