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सोमवार, 27 अगस्त 2012

कोरे पन्ने जीवन के... संध्या शर्मा

बहुत कुछ लिखना है
जीवन की किताब में
कुछ शब्द उकेरना है
कुछ भाव समेटना है
कहाँ से शुरुआत करूँ
कहाँ जाकर रुकूँ
कभी लगता है भूत लिखूं
भविष्य लिखूं
क्यों ना वर्तमान लिखूं
यहाँ भी भटक जाती हूँ
लिखने लगती हूँ
बिना स्याही के
शब्द उभरते नहीं
स्याही मिली
तो शब्द ना सूझे
मिले भी तो ऐसे
कि भर आये नयनो से
झर-झर  झर गए
जीवन के पन्ने
कोरे थे
कोरे ही रह गए....

22 टिप्‍पणियां:

  1. जीवन के पन्ने
    कोरे थे
    कोरे ही रह गए....

    बहुत कुछ लिखना है

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  2. जो पन्ने अभी कोरे हैं,अनुभवों की स्याही से वह भी भर जाएंगे।


    सादर

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  3. मैं भी यशवन्त की बात से सहमत हू!ं..सभी पन्ने जल्दी ही भर जाएंगे..

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  4. कितना भी लिखो कहो दुहराओ...
    अनकही ही रह जाती है ज़िन्दगी !!!

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  5. मैने आपका ब्लॉग देखा बड़ा ही सुन्दर लगा .
    बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...
    बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!
    शुभकामनायें.

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  6. मेरा जीवन कोरा कागज़ कोरा ही रह गया ।

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  7. बड़ी सरलता से आप अपनी मन की बातों को इन पंक्तियों के माध्यम से सजाया है,,,,अतिसुंदर रचना |

    मेरा ब्लॉग आपके इंतजार में,समय मिलें तो बस एक झलक-"मन के कोने से..."
    आभार...|

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  8. एक समय आएगा फिर पन्ने खड्केंगे ,स्याही से भरी कलम लिख देंगे कागज पर जिंदगी का सफ़र

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  9. मेरी मान्यता है कि देखने पर जीवन का हर पन्ना कोरा लगता है लेकिन जब ध्यान से देखा जाता है तो उन कोरे पन्नों पर सहस्त्रों महाकाव्य की रचना हो चुकी रहती है। इस तरह कोई भी पन्ना कोरा कैसे रह सकता है।
    मेरे नवीनतम पोस्ट पर आपका हार्दिक अभिनंदन है।

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  10. जिंदगी के कोरे पन्नों को अपने अतीत की यादों से भर दो :)))

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  11. तीत की यादें और भविष्य के सपनो के बीच कभी कभी वर्तमान लिखना मुश्किल हो जाता है ... भाव मय प्रस्तुति ...

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  12. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना ....

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  13. मिले भी तो ऐसे
    कि भर आये नयनो से
    झर-झर झर गए
    जीवन के पन्ने
    कोरे थे
    कोरे ही रह गए....

    dil ko chhuti behtrin rachna.

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  14. जीवन के रंगों को समेटना कहाँ आसन है........बेहतरीन पंक्तियाँ.....

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  15. जीवन की ऊहापोह का सुन्दर चित्रण ...

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  16. निराशा क्यों ? शुभकामनायें आपको !

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  17. कोरे पन्ने नवीनता को आमंत्रण देते हैं..जिन्दगी और भी खुबसूरत लगती है .बहुत सुन्दर..

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