पेज

मंगलवार, 14 अगस्त 2012

स्वतंत्रता दिवस और हम... संध्या शर्मा

आ गया फिर एक स्वतंत्रता दिवस. देश के प्रति अपनी भावनाएं अभिव्यक्त करने का दिन.आज़ादी को सेलीब्रेट करने का दिन. हमारे यहां त्योहारों की विशाल श्रृंखला है और राष्ट्रीय पर्व मनाने के सिर्फ़ दो ही अवसर आते हैं. फिर भी हमारे देश के युवा देश के प्रति अपना प्यार दर्शाने के कोई कसर बाकी नहीं रहने देते. जाहिर है, देशभक्त युवाओं को यह बात स्वीकार नहीं होगी कि वे देश को प्यार नहीं करते, उनके द्वारा अपनी देशभक्ति साबित करने का भरपूर प्रयास किया जाता है.वे वाहनों पर तिरंगा लहराते हैं, अपने मोबाइल में देशभक्ति की हैलो ट्यून लगाते हैं, स्क्रीनसेवर, वॉलपेपर, डेस्कटॉप, वेशभूषा, यहाँ तक की अपने चेहरे का मेकअप तक सब कुछ देश प्रेम के रंग में रंग देते हैं. फिर हम कैसे कह सकते हैं कि इन्हें इस देश की परवाह नहीं? देश से प्यार नहीं? लेकिन देशभक्ति को किसी पैमाने पर नहीं मापा जा सकता.
इसके लिए सचमुच अपने हृदय पर हाथ रखकर खुद से कुछ सवाल करने होंगे और खुद को ही कुछ ईमानदारी से जवाब देने होंगे. सोचिये हमने अपनी जन्मभूमि को माता का स्थान दिया है. यह देश सदियों से नारीत्व को सम्मान देने वाली गरिमामयी संस्कृति के लिए जाना जाता है अगर इस देश में नारी का किसी भी रूप में अपमान होता हैं, कन्या भ्रूण हत्या, दहेज़ हत्या, स्त्री के मानमर्दन जैसी शर्मनाक घटनाएँ होती हैं. तो कैसे कह सकते है हम देशभक्त हैं? आपकी यह दिखावे की देशभक्ति देश के किस काम की? आपका राष्ट्रप्रेम किस काम का?
हमारा देश आज भ्रष्टाचार रुपी दानव की भेंट चढ गया है. बिना लेन-देन के कोई काम नहीं होता. सरकारी आफ़िसों में सर्वभक्षी अपना मुंह फ़ाड़े बैठे रहते हैं. थाने में स्त्रियों से बलात्कार होता है. अपराधी छूट जाते हैं, आम नागरिक सजा पाते हैं. सरकारी कर्मचारी उपरी आमदनी के लिए कुछ भी कर सकते हैं. ईमानदारी ताक पर रखी हुई है. लालफ़ीताशाही से परेशान आम आदमी न चाह कर भी अपना काम करवाने के लिए घूस देता है. भ्रष्टाचार अब शिष्टाचार बन गया है. इस तरह भ्रष्टाचार करके देश भक्ति का ढोंग करने वाले लोग कभी भी, किसी हालत में  देशप्रेमी नहीं कहला सकते. 

भ्रष्टाचार तमाम बुराइयों की जड़ है और लालच इस भ्रष्टाचार की जननी. अगर आप किसी भी रूप में इस तरह के काम में शामिल हैं, तो देशप्रेम के कितने ही ऊंचे स्वर में नारे लगा लीजिए सब दिखावा है सारे विचार खोखले हैं. क्या देश से भ्रष्टाचार हटाने का जिम्मा क्या सिर्फ कुछ खास लोगों का ही है? नहीं...  आजादी के 65 वें स्वतंत्रता दिवस हम संकल्प लें कि देश से भ्रष्टाचार और बुराईयों को समाप्त करने की पहल स्वंय से ही करेगें. हमारे पूर्वजों ने जिस राष्ट्र की कल्पना की थी, जिस भ्रष्टाचार विहीन, अपराध विहीन, सशक्त राष्ट्र का सपना अपनी जागती आखों से देखा था. वह एक दिन पूरा होगा. अगर हम नागरिक धर्म को निभाएगें तो वह दिन दूर नहीं जब हमारा देश पुन: विश्वगुरु का दर्जा पाएगा.

20 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही गंभीर सवाल खड़े करती है आपकी पोस्ट। हम सुधरेगें युग सुधरेगा। जो नहीं सुधरेगा, उसे हम सुधारेगें। अगर जनता यही सोच ले तो देश के सथ उसका भी कल्याण हो जाए। सबसे पहले इस ब्युरोक्रेसी को सुधारे, फ़िर नेताओं को। जिस दिन यह कार्य हो गया उस दिन देश फ़िर से स्वर्ण मयूर हो जाएगा।

    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  2. एक एक शब्द सही.
    आज़ादी की ६६ वीं वर्षगांठ मुबारक हो.

    जवाब देंहटाएं
  3. बिल्कुल सहमत
    स्वतंत्रता दिवस की वर्षगांठ की शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
    एक नए ब्लॉग ''WORLD'sWOMAN BLOGGERS ASSOCIATION -JOIN THIS NOW ''se जुड़ें और महिला शक्ति को संगठित होने का सुअवसर दें.

    जवाब देंहटाएं
  5. सहमत हूँ..... अधिकार चाहने के साथ ही हर नागरिक को कर्तव्य भी निभाने होंगें

    जवाब देंहटाएं
  6. आपके विचारों से सहमत

    स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ!


    सादर

    जवाब देंहटाएं
  7. सही कहा है आपने शुरुवात तो स्वयं से हो...
    स्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक शुभकामनाये..
    :-)

    जवाब देंहटाएं
  8. रहने को अब घर ही घर है ... प्रकृति नहीं हमारी , जमीन और ज़मीर मर गई हमारी .... फिर भी , दिल है हिन्दुस्तानी !
    होठों को गोल गोल करके जितनी अंग्रेजी बोल लो , अंग्रेज लिबास पहन लो - कहलाओगे हिन्दुस्तानी ...
    इसी बात पर वन्दे मातरम

    जवाब देंहटाएं
  9. बिलकुल सही कहा...
    स्वतन्त्रता दिवस की बहुत-बहुत ............शुभकामनाएँ.........
    .............जयहिन्द............
    ............वन्दे मातरम्..........







    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत खूबसूरत प्रस्तुति………………स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  11. भ्रष्टाचार तमाम बुराइयों की जड़ है और लालच इस भ्रष्टाचार की जननी. अगर आप किसी भी रूप में इस तरह के काम में शामिल हैं, तो देशप्रेम के कितने ही ऊंचे स्वर में नारे लगा लीजिए सब दिखावा है सारे विचार खोखले हैं. क्या देश से भ्रष्टाचार हटाने का जिम्मा क्या सिर्फ कुछ खास लोगों का ही है?

    सुन्दर विचार

    जवाब देंहटाएं
  12. आपको स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।वन्दे मातरम्...

    जवाब देंहटाएं
  13. सार्थक पोस्ट ...आप की एक एक बात से सहमत ...कृपया भूल सुधार करें स्वतंत्रता कि 65 वीं वर्षगाँठ तथा 66 वीं स्वतंत्रता दिवस कि हार्दिक शुभ कामनाएं .....

    जवाब देंहटाएं
  14. ham sab ko hath me hath dale aage aana hoga..sundar vichar sarthak post.

    जवाब देंहटाएं
  15. सहमत हूँ आपकी बात से ... आज ६६ सालों के बाद भी ये प्रश्न सामने घड़ा है ... अफ़सोस ...
    १५ अगस्त की बधाई और शुभकामनायें ...

    जवाब देंहटाएं
  16. बिलकुल सच...बहुत सारगर्भित प्रस्तुति....

    जवाब देंहटाएं