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गुरुवार, 28 जून 2012

सिर्फ मुझे... संध्या शर्मा

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तुम्हारे नयन
बोलते हैं
सुनाई देते
सिर्फ मुझे...

तुम्हारा आना
श्रावणी फुहार
भिगोती है
सिर्फ मुझे...

तुम्हारा साथ 
बसंत जैसे
महकाता है
सिर्फ मुझे...

तुम्हारा रूप
गुलमोहर
सजाता है
सिर्फ मुझे...

तुम्हारा जाना
रूठा चाँद
सताता है
सिर्फ मुझे...

हमारा मिलन
प्रीत लहर
डुबोती है
संग-संग... 

24 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर भावमयी अभिव्यक्ति...

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  2. भावमयी अभिव्यक्ति...बहुत सुन्दर संध्या जी

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  3. भावों का सहज सम्प्रेषण , भावों के विविध प्रसंगों को समेटे रचना ..!

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  4. बहुत प्यारी रचना , बधाई आपको !

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  5. भाव विभोर करती सुन्दर प्रस्तुति.

    तुम्हारा आना
    श्रावणी फुहार
    भिगोती है
    सिर्फ मुझे...

    मेरे ब्लॉग पर आपके सुवचन
    श्रावणी फुहार ला देते हैं,संध्या जी.

    इन्तजार है आपका.

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  6. प्यार वाकई पोस्सेस्सिव होता है ..........सुन्दर रचना !

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  7. वाह ... अनुपम भाव लिए बेहतरीन प्रस्‍तुति

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  8. बहुत सुन्दर भावमय करते शब्द...
    कोमल अहसास लिए बहुत ही बेहतरीन रचना...
    :-)

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  9. कितनी सुंदर सी बात है

    तुम्हारा जाना
    रूठा चाँद
    सताता है
    सिर्फ मुझे...

    हमारा मिलन
    प्रीत लहर
    डुबोती है
    संग-संग... वाह !!

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  10. कविता में जीवन के दृश्य आकार ले रहे हैं।

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  11. भावनाओं की सरलता और तरलता मुग्ध कर गयी...

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  12. हमारा मिलन
    प्रीत लहर
    डुबोती है
    संग-संग... वाह !!

    सुन्दर रचना!!!

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