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मंगलवार, 28 दिसंबर 2010

"KHOOBSOORTI"

"खूबसूरती "
खूबसूरती अब पर्दों में नहीं
बस पर्दों पर ही दिखती है
ताक़त अब रगों में नहीं 
केवल कागज पर दिखती है
मेकअप से चमकती सुन्दरता
पसीने में बह जाती है
मय का जोश घटते ही
जुबान खामोश हो जाती है
वहम के नशे में जहाँ ये सारा है
मगर ये इंसां तो दिखावे का मारा है
औरत प्यार, इज्जत को तरसती है
तो आदमी की नज़र ...............................
बनावट की दुनिया से नहीं हटती है ........ 

12 टिप्‍पणियां:

  1. इस कहते है कविता
    किस खूबसूरती से सच का बखान किया किया
    वाह //
    नया साल मंगलमय हो संध्या जी

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  2. संध्या जी
    नमस्कार......दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती

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  3. बहुत रोचक और सुन्दर अंदाज में लिखी गई रचना .....आभार

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  4. बबनजी, संजय जी, वीनाजी, इतनी अच्छी और खूबसूरत प्रशंसा के लिए आप सब का तहे दिल से शुक्रिया..........
    मेरी ओर से भी नव वर्ष की हार्दिक - हार्दिक शुभ - कामनाएं आप सभी को.... .

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  5. सुन्दर रचना संध्या जी...
    बधाई.

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  6. मगर ये इंसान तो दिखावे का मारा है...

    सुन्दर रचना..
    बधाई.

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  7. बधाई ! अंदाज निराला हो जाए
    मन मतवाला गर हो जाए
    भूले न अमन उद्देश्य मुखर
    चमन भी निराला हो जाए |

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