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शुक्रवार, 24 दिसंबर 2010

"AAI BASANT BAHAAR"

"आई बसंत बहार"
पहन सुहानी धानी चूनर,
धरती ने किया श्रंगार,
सरसों पर छाई है मस्ती,
आई बसंत बहार...........
तितली फिरती फूल-फूल पर,
कलियों ने भी घूंघट खोला,
कोयल मीठे गीत सुनाती,
भौरों का मन भी है डोला,
कल-कल, कल-कल नदियाँ बहती,
झर-झर, झर-झर झरते झरने,
क्यारी-क्यारी लगी मुस्काने,
गेहूं जौ लगे लहराने,
चिड़िया चहकी, बुलबुल गाए,
भोर सुहानी सबको भाए,
ठंडी-ठंडी चली पुरवाई,
मौसम पर जवानी छाई,
वन उपवन को मिला नवजीवन,
पुलकित है मेरा भी मन........
रंग-बिरंगे फूल खिले हैं,
मिलकर सब गाते मल्हार,
आई बसंत बहार...
आई बसंत बहार.........


  

13 टिप्‍पणियां:

  1. जाड़े में बसंत
    बहुत बढ़िया
    --

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  2. Pavanji hum to abhi se basant ko mahsoos kane lage hain, bahut khoobsoorat mausam hai hamare nagpur me...
    Thanks...

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  3. सुंदर शब्दों में सजा कर वसन्त ऋतू का वर्णन किया गया है!

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  4. कविता के भाव और शब्दचयन दूसरे ही जगत में ले जाते हैं,और कुछ समय के लिए भूल जाते हैं अपने आसपास की दुनिया..बहुत सुन्दर..आभार

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  5. सुन्दर कविता ने बसंत खिला दिया ....बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...

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  6. vaah kitne sunder shabdon me tareef karte hain aapkab bhi jawaab nahi sanjayji...
    Thanks, dhanywad, shukriya...........

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  7. संध्या जी ॥
    वसंत को आपने शब्दों के वृक्ष से महका दिया /
    वसंत की आपको ढेरो शुब्कामना

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  8. आप सभी को इन खूबसूरत कमेंट्स के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद्...
    और वीना जी का स्वागत है, मेरे ब्लॉग पर..
    मेरी और से सभी को क्रिसमस की ढेर सारी शुभकामनायें.....

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  9. vasant aane me der hai, par sabdo me dilhta

    vasant pyara laga..:)

    ab follow kar raha hoon barabar aaungaaaa

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  10. सुंदर शब्दों में सजा वसन्त का वर्णन|शुभकामनायें|

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