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मेरी कविताएं
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बुधवार, 3 दिसंबर 2025
ये क्या है...? संध्या शर्मा
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ये क्या है? ये पुलक है, ये झंकार है, ये अधूरे बोलों का संचार है। ये चुप्पी में सिमटा कोलाहल है, ये मन से उठता हालाहल है। ये क्या है? ये प्र...
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बुधवार, 16 जुलाई 2025
एक ख़त बीते लम्हों के नाम... संध्या शर्मा
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एक ख़त लिखना चाहती हूँ मैं, उन गुजरे पलों के नाम, जो छू गए थे मन को कभी और खो गए थे वक़्त के अंधेरों में। काग़ज़ पे उतर आएँगे, कुछ धुंधले...
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बुधवार, 18 जून 2025
सहनशीलता का प्रकाश... संध्या शर्मा
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जब शरीर की थकी लकीरें आत्मा को घेर लेती हैं और मन के कोलाहल में एक सन्नाटा छा जाता है। तब भीतर के मंदिर में खड़ी होती आत्मा विनीत उस...
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शुक्रवार, 21 मार्च 2025
अमर काव्य, जीवन आधार... संध्या शर्मा
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कविता, शब्दों का जादू, भावनाओं की सरिता, इसकी हर पंक्ति में छुपा है, संसार, अद्भुत, अनोखा। कभी खुशियों के रंग बिखेरे, कभी गम की छा...
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बुधवार, 5 जून 2024
हरियाली खुशहाली है... संध्या शर्मा
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बच्चों आओ मैं हूँ पेड़ मुझे लगाओ करो ना देर जब तुम मुझे उगाओगे धरती सुखी बनाओगे दुनिया मेरी निराली है हरियाली खुशहाली है रोको मुझपर होते प्...
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