नदियाँ प्राकृतिक संपदा ही नहीं, जनमानस की भावनात्मक आस्था का आधार होने के साथ-साथ सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। सम्पूर्ण मानवता व सभ्यता का अस्तित्व नदियों के अस्तित्व पर ही है। नदियां या तो मृतप्राय हो चुकी हैं या सूख गई हैं। मानव की अदूरदर्शिता, प्राचीन परम्परा तथा देश का कथित विकास इसके लिए जिम्मेवार है। हमारा लक्ष्य नदियों के अविरल और निर्मल प्रवाह को पुनः प्राप्त करना है। नदियों के क्षरण रोकने के लिए मीडिया के साथ, नागरिकों व सामाजिक संगठनों को इस दिशा में त्वरित कदम उठाना होगा और अगर हम अब भी सजग ना हुए तो अगली पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं करेगी.
चिंता का मुख्य विषय यह है कि कैसे अकाल मौत का शिकार हो रही नदियों को पुनर्जीवन दिया जाए। नदियों में घटता पानी कैसे बढ़ाया जाए। नद जल में बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम कैसे हो। नदियों के किनारे, जमीन और जलग्रहण क्षेत्र को कैसे बचाया जाए। नदियों से जुड़े जन-जीवन, संस्कृति, खेती, जैव विविधता की रक्षा कैसे की जाए। शासन और समाज को नदी का अर्थशास्त्र कैसे समझाया जाए। इन सब महत्वपूर्ण कार्यों में सरकार, स्वयंसेवी संस्थाओं और समाज की भूमिका क्या हो।
स्पंदन संस्था, भोपाल वर्ष 2012 से मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् के साथ मिलकर चौपाल का आयोजन कर रही है. नदी संरक्षण विषय पर राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद, भारत सरकार के सहयोग से इस वर्ष भी राष्ट्रीय मीडिया कार्यशाला (मीडिया चौपाल) 11-12 अक्टूबर 2015 को गालव सभागार, जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर, मध्यप्रदेश में आयोजित की गई है। जिसमे कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला, राज्यसभा सांसद प्रभात झा, सीनियर ब्यूरोक्रेट उमाकांत उमराव सहित देश भर से जल संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रहे वैज्ञानिक, प्रोफ़ेसर, मीडिया कर्मी, ब्लागर, सोशल मीडिया एक्टिविस्ट, रंगकर्मी साहित्यकार, कालमनिस्ट, छात्र, एवं सामाजिक कार्यकर्त्ता बड़ी संख्या में भाग लेंगे। दो दिनों तक चलने वाले विभिन्न सत्रों में इस सब पर व्यापक मंथन होगा। कार्यक्रम के मुख्य आयोजक स्पंदन संस्था के संयोजक श्री अनिल सौमित्र हैं । जिसमें
मुख्य विषय : नदी संरक्षण में मीडिया की भूमिका
उप-विषय :
भारत की नदियां : कल, आज और कल
मध्यप्रदेश की नदियां : कल, आज और कल
जनमाध्यमों में नदियां : स्थिति, चुनौतियां और सम्भावनायें हैं ।
आयोजक संस्था इस वर्ष एक "स्मारिका" का प्रकाशन कर विगत वर्षों में हुए मीडिया चौपाल की जानकारी, सहभागियों का परिचय मीडिया और नदी विषय से जुड़े शोध व विचारों की जानकारी भी देगी।