सोमवार, 6 अक्तूबर 2014

मोक्ष...

जब पढते हैं ॠचाओं को  
पौराणिक आख्यानों को
याद आता है हमे 
भागीरथ का तप  
जब तुम्हें पृथ्वी उद्धार के लिए
धरा पर उतारा गया था।
स्वर्णमयी सपनों की मानिंद 
सुन्दर लगती थी 
स्वच्छ, निर्मल, पवित्र जल
जन्मों - जन्मों के मल का
दर्शन मात्र से प्रक्षालन कर देता था
आज कलिमल से प्रभावित
गन्दगी के दलदल ने
मलिन कर दिया है 
प्रवित्र जीवनदायी जल को 
कल कारखानों की लापरवाही से
प्रदूषित होते जल को देख कर
डर लगने लगा है  
विज्ञान और विकास से
बिन तुम्हारे कैसा जीवन 
हमने ही तो किया है 
जीवनदायिनी को प्रदूषित
तुम्हारी दुर्दशा
हमारे कर्मो का फल है 
पर अब और नहीं 
यहीं पर रुकना होगा
इस आधुनिक सभ्यता को
तुमसे ही है हमारा अस्तित्व
यदि बचाना है हमे स्वयं को 
तो रक्षा करनी होगी तुम्हारी 
बस चाहिए एक विचार, जनसहयोग 
निजी हितों, स्‍वार्थों का त्‍याग  
और जन-जागरण अभियान
प्रयास हजारों-लाखों नव भागीरथों का 
प्रदान करेगा तुम्हे नवीन स्वरुप  
तरेगी अपनी ही संतानो के संकल्प से 
जगतारिणी माँ गंगा मोक्षदायिनी
प्रदूषण से मोक्ष पाकर....

10 टिप्‍पणियां:

  1. यदि बचाना है हमे स्वयं को
    तो रक्षा करनी होगी तुम्हारी
    बस चाहिए एक विचार, जनसहयोग
    निजी हितों, स्‍वार्थों का त्‍याग
    और जन-जागरण अभियान
    प्रयास हजारों-लाखों नव भागीरथों का
    प्रदान करेगा तुम्हे नवीन स्वरुप

    Behtreen.... Arthpoorn Rachana

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  2. वाह बहुत इओर और मन को छूती रचना
    सार्थक और उत्कृष्ट प्रस्तुति
    सादर---

    आग्रह है मेर ब्लॉग में भी शामिल हों ---

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  3. बिलकुल सही बात
    अगर हमें बचाना है स्वयं को तो माँ गंगा को बचाना होगा..
    सार्थक सन्देश देती उत्तम रचना..

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  4. सक्स्च लिखा है ... खुद को बचाने के लिए ... गंगा को बचाना होगा ....
    आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें ...

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  5. अनुपम प्रस्तुति....आपको और समस्त ब्लॉगर मित्रों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं...
    नयी पोस्ट@बड़ी मुश्किल है बोलो क्या बताएं

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  6. निजी हितों, स्‍वार्थों का त्‍याग
    और जन-जागरण अभियान
    प्रयास हजारों-लाखों नव भागीरथों का
    प्रदान करेगा तुम्हे नवीन स्वरुप

    Behtreen.... सही बात कही

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